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जीबन की सही मार्ग कोन सा है ? - जीतू दास




जिंदगी में बहुत सारे सीजे बेकार है, सबसे बेकार है खुदसे से भागना, खुद की संगत से भागना, अपने एकाकीपन से भागना, मेने बरसो तक अपने अकेलेपन से भागने की कोशिश की, तुमभी सायद यही कर रहे हो , अकेलेपन में कोई रस थोड़ी ना है,जीबन के सारा रस तो बाहर है, यह बात कोई गलत नही है, लेकिन किसी बात की एक मतलब हो ऐसा होता नही है, सच क्या है, परमसत्य कोई एक बात नही है, इस स्तय की कोई एक आयाम नही है, सोचो तो हर बात में विरोधाभास है, एक सबाल के एक नही कोई उत्तर है, तो फिजूल में ही क्यों बक्त गबाए, एक उत्तर को पकर के सलना काफी है !! 
पर तुम थोड़ा रुखों, बिचार करो थोड़ा , जीबन के एक उत्तर होता तो, क्या लोग इतने सारे उत्तर देने को आते, उत्तर कई, सबाल एक, ऐसा ही है, हर सबाल की, कई सारे उत्तर, क्या सही है, सुने तो कौनसा सुने ।
अगर तुम मुझे पुसो क्या है सही उत्तर, में भी बता नही पाऊंगा, सही उत्तर सारे है, किसी एक उत्तर को सही कहना, बाकी सब को गलत कहने से कोई समाधान नही मिलता । तूमको कोई और कह नही पाएगा की  तुम्हारे लिए जीबन की सही मार्ग क्या है, सभी के जीबन की यही सबसे बड़ा सबाल है, जीबन की कौन सी मार्ग लेना साहिहे,

१.बेद ,उपनिषद और पुराण की मार्ग
२.बुद्ध की मार्ग
३.महाबीर की मार्ग
५.कन्फ्यूसियस 
६.लाओ स्तु
७सुकरात की मार्ग

८.जिसु की मार्ग
९.महम्मद की मार्ग
१०.रूमी की मार्ग
११. सनकरदेब
१२. सनकरचर्ज़
१३. बिबेकनन्द
१४. महात्मा गांधी
१६. रबिन्द्रनाथ टेगोर
१७. रामकृष्ण
१८. रामानुजन
१९.आइंस्टाइन
२०. न्यूटन
२१. मैक्स प्लांक , जिसने कुअंतम की आविस्कार की ! कुअंतम के बारे में आइंस्टाइन की विरोधाभास थी ।कौन सही है , किसकी मार्ग में तुम सलोगे ।
१३. स्टीफेन हॉकिंग
किसके मार्ग में सलोगे, भगबान कृष की,  या महादेव की या इन्द्र की, या राम के, या हनुमान की !
किसकी तुम पूजा करोगे, कितने मन्दिर में तुम जाओगें, कितने मस्जिद में तुम जाओगे, कितने गिरजा में तुम जाओगे !! । 

इसका मतलब यह तुम जाना सोर दे, बात है तुम अगर अगर ऊपर ऊपर से सारे दिसाओ में जाओ, तो इसमें कुस रस नही है, मन की भीतर जो सूखा है, बो मिटेगा नही, मन की भीतर जाना ही होगा, कोई भी मन्दिर में  केबल बाहर से प्रणाम करने से क्या होगा , अगर मनकी भीतर से भक्ति की आबेश तुमने अनुभव नही क्या, तो फायदा नही होगा, भीतर मन सूखा ही रह जायगा, जीबन की रस मन के ही भीतर है, पर यह मन और चित्त बिचार की हाहाकार, सोर से मुक्त नही , सब छोर  के, इस मुहूर्त तुम एक चैन से साच तो लो ।

जीबन के उत्तर कोई सारे, क्या आदि शङ्कराआचार्य
 गलत थे, ओशो सही था, अगर फिरसे कौन सही, कौन गलत , इसमें  ध्यान करने लगे, कोई समाधान नही मिलेगा । 

जीबन के उत्तर समय के अनुसार बदलते रहते है , यह बात मुझे   जमती है । जीबन की किस मार्ग में तुम्हे चलना है , तुमको ये खुद चयन करना होगा, पर उससे पहले , तुम्हारे जीबन में सबाल भी तो आना होगा, सबाल उठा नही तो तुम क्यों जबाब के लिए परेशान होंगे । सबाल बहुत महत्वपूर्ण है, सबाल को टालो, अगर भूल जाओ, अगर तुम्हारे खुद के सबाल के लिए समय ना निकाल पाओ ,तुम रह गये जीबन की ऊपरी तरप में , जीबन की भीतर के तरप में जाने के लिए, सबाल बहुत महत्वपूर्ण है, उससे भी महत्वपूर्ण है, तुम क्या करोगे इस बारे में, कोन सा उत्तर तुम सुनोगे , सुनने से पहले एक जबाब, थोड़ा  उत्तर की समय और तुम्हारे समय की ध्यान रखना, कई उत्तर , कई मार्ग समय के साथ बिचार करने बाली हो जाती है, समाज के नियम, कानून, अपराध, संस्कृति का ध्यान रखना, किसी मार्ग को सुनने से पहले , समाज में क्या चल रहा है ,इस बात का  गहराई में ध्यान,। लोगों को नजर अंदाज मत करना, जिसके भी तुम करीब हो, उसके सारी बाटे जानने को प्रयास करना, क्या मार्ग तुम्हारे लिए सही है, इसे तुम जान पाओगे लोगों से , कोंन कीस राह है, देखो, बिचार करो, जो लोग ऐसी मार्ग पे है, जो तुम्हे अत्सा लगे, ऐसी ही लोगो की है ज्यादा करीब आना ।।


हजारों मार्ग है, हजारों लोग है, जो अपने जीबन को एक तरफ से उम्दा बनाया, बो दूसरों के लिए मार्ग बन गया ।।
कोंन से गुरु को तुम मानोगे ओसो को, जिद्दू कृष्णमूर्ति को, सदगुरु को या फिर  दालाई लामा को ।
क्या तुम आकर्षण की सूत्र को मानोगे या फिर  नारायण सूत्र को !!
यह एक बहुत बड़ा समस्या नही है की बहुत सारे मार्ग है, यह इस बात की प्रमाण है की जीबन की कोई एक मार्ग नही है, कोई एक सच नही है । 
मार्ग बहुत सारे है क्योंकि हर किसीको अपना मार्ग खुद ही बनाना पड़ता है । तुम को अपने जीबन की मार्ग खुद को ही बनाना होगा ।
- जितुदास
 23 Sunday 2020

खुदकी तलास क्यों करे - जितुदास


ये कैसी नासमझी थी, बरस बीतते गये, कभी ज्ञान का छाया नही मिला था, हम धुनते रहे जिसे, इस इश्क की साहत में, दुख से ज्यादा अंत मे कुसभी तो ना मिला, ऐ इश्क करने बालों क्या अभीतक एहसास हो पाया, पाकर भी किसीको पा ना सकोगे, जब तुम खुद से हो बेखबर ! लेकिन तुम मुझे  शायद ऐसे ही  कहोगे - 
क्या जरूरत है, इस खुद में, तुम्हारे भीतर क्या है, सारा सार तो बाहर  है, जीबन की क्या बात बोलते हो, क्या जरूरत है, समय कहा है, फिजूल ही है, कुश जबाब नही है, सोर दे येसब, बेकार है तुम्हारे ये चेष्ठा ... पर में कुसभी केहडू, तुम कुसभी समझ ना पाओगी, भीतर ऐसी हाहाकार है, एसी सोर है बिचार की, तुमको सुनाई भी दे तो सायद कुसभी सार ना मिले ... ये खुदकी तलास तुम्हे किसीसे दूर नही ले जाता, सबकुस पास ही हो जाए, ऐसी खुदकी तलास में खो जाओ, इस जगत के नियम उल्टे है, सबकुस खोकर ही खुदको मिले ऐसी दास्तान तो कम नही है ।।
- जीतू २२/२/२०२०
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Jitu Das

“Find the right frequency that resonates with your soul.”

Assamese writer. Observer of life. Capturing thoughts, stories, and reflections with a touch of soul.